Friday, October 22, 2010

यदि आप यह दावा करते हैं

यदि आप यह दावा करते हैं कि
आप देख सकते हैं
तब
आपकी आँखे पथरायी
क्यों नहीं है
और
यदि आप यह दावा करते हैं कि
आप बोल सकते हैं
तो
आपकी आवाज़ बैठी क्यों नहीं है
इक्कीसवीं सदी में जिन्दा होने की
मुनादी करवाने वाले आप
मर क्यों नहीं पा रहे हैं
यदि बात ऐसी है तो
आप भी संदेह के परे नहीं है
और
इतिहास
आपकी भागीदारी को भी दर्ज करेगा
क्योंकि
इस बुरे माहौल में
आपने
जीने का तरीका ढूंढ़ लिया है.

No comments:

कविता :-एक दिन मनुष्य भी हमारी अनुमति से खत्म हो जाएगा।

  कितना मुश्किल होता है किसी को न बोल पाना हम कितना जोड़ रहे हैं घटाव में। बेकार मान लिया जाता है आदतन अपने समय में और अपनी जगह पर जीना किसी ...