बीच भवंर में छोड़ा दिया पार्टी की नैया ठाकुर ने ,
बीजेपी के साथ किया क्या देखो भैया ठाकुर ने .
पुत्र मोह में छोड़ दिया अनुशासन और नैतिकता ,
लोकतंत्र की नयी राह पर लोभ मोह ही टिकता .
कहे बिहारी बेबस होके आपस की दूरी पाटो,
बीबी बच्चे बहु बेटे में पार्टी की टिकट बाँटो
Saturday, October 9, 2010
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कविता :-एक दिन मनुष्य भी हमारी अनुमति से खत्म हो जाएगा।
कितना मुश्किल होता है किसी को न बोल पाना हम कितना जोड़ रहे हैं घटाव में। बेकार मान लिया जाता है आदतन अपने समय में और अपनी जगह पर जीना किसी ...
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कितना मुश्किल होता है किसी को न बोल पाना हम कितना जोड़ रहे हैं घटाव में। बेकार मान लिया जाता है आदतन अपने समय में और अपनी जगह पर जीना किसी ...
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दुःख की घड़ी में मेरे साथ रहती है मेरी प्रेयसी मेरी कविता हाथों में लिए ढाढ़स के अनगिणत शब्द और सुख के क्षण में बिखरती रहती है मेरी प्रेयसी...
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एक शब्द है बुढ़िया जो आदरसूचक अर्थ नहीं रखता मगर अवस्थाबोध जरुर कराता है जिसे भिखमंगे जैसी दया की दरकार होती है मेरी दादी वही हो गयी ...
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