तुमने लगा दी
उम्मीद की लत
और मेरे हिस्से की हंसी
जो गुम हो गयी थी
एक अजनबी के चेहरे
पर खिलती मिली
मैं फिर से मांग लाया
बरस बाद खुद को हंसाया
कितना मुश्किल होता है किसी को न बोल पाना हम कितना जोड़ रहे हैं घटाव में। बेकार मान लिया जाता है आदतन अपने समय में और अपनी जगह पर जीना किसी ...
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