एक कविता
मेरे जीवन में आई है
चलकर
जिसकी चाल
ईश्वर की प्रार्थना की तरह
पवित्र है
एक कविता
जिसे मैंने रखा है
सहेज कर
कभी न मुरझाने वाले
फूलों के साथ
Thursday, June 10, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कविता :-एक दिन मनुष्य भी हमारी अनुमति से खत्म हो जाएगा।
कितना मुश्किल होता है किसी को न बोल पाना हम कितना जोड़ रहे हैं घटाव में। बेकार मान लिया जाता है आदतन अपने समय में और अपनी जगह पर जीना किसी ...
-
कितना मुश्किल होता है किसी को न बोल पाना हम कितना जोड़ रहे हैं घटाव में। बेकार मान लिया जाता है आदतन अपने समय में और अपनी जगह पर जीना किसी ...
-
कविता में बचे रहने के लिए मुझे खोजना पड़ता है गेहूं का बारहमासी पौधा। जिसमें पूरे परिवार की भूख निर्भर है। इससे बनी रोटी सिर्फ पेट की नही...
-
दुःख की घड़ी में मेरे साथ रहती है मेरी प्रेयसी मेरी कविता हाथों में लिए ढाढ़स के अनगिणत शब्द और सुख के क्षण में बिखरती रहती है मेरी प्रेयसी...
No comments:
Post a Comment