क्यों नहीं जीवन को मिलता है
एक कोना प्यार
जिंदगी
अपने पूरे हिस्से के साथ
हाथ नहीं आती है क्यों
दुनिया में आने पर
जीने की बेबसी क्यों
कौन ले जाता है चुराकर
हमारे हिस्से का रंगीन फूल
आखिर
इससे धरती पर
किसी का क्या सधता है
अगर यह शैतान है
तो
आदमी के पक्ष का ईश्वर कहाँ है ?
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कविता :-एक दिन मनुष्य भी हमारी अनुमति से खत्म हो जाएगा।
कितना मुश्किल होता है किसी को न बोल पाना हम कितना जोड़ रहे हैं घटाव में। बेकार मान लिया जाता है आदतन अपने समय में और अपनी जगह पर जीना किसी ...
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