Thursday, June 10, 2010

एक कविता

एक कविता

मेरे जीवन में आई है

चलकर

जिसकी चाल

ईश्वर की प्रार्थना की तरह

पवित्र है

एक कविता

जिसे मैंने रखा है

सहेज कर

कभी न मुरझाने वाले फूलों के साथ

एक कविता

जिन्दा रहती है

हमेशा

मेरे बगल में

और

मुझसे बतियाती है

तो

समय थम जाता है

एक कविता

जिसे मैं खोज़ता था

या

एक कविता

जो

मुझे खोजती चली आई

वो कविता

तुम्हारी अभिव्यन्ज़क है

जो

मेरे सिरहाने उतर गई है 

- ॐ राजपूत २५-०३-०१

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