कभी ऐसा भी होता है
कभी ऐसा ही होता है
और
एक रौशनी चली जाती है
bina kisi ko prakashit kiye
Thursday, June 10, 2010
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कविता :-एक दिन मनुष्य भी हमारी अनुमति से खत्म हो जाएगा।
कितना मुश्किल होता है किसी को न बोल पाना हम कितना जोड़ रहे हैं घटाव में। बेकार मान लिया जाता है आदतन अपने समय में और अपनी जगह पर जीना किसी ...
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एक शब्द है बुढ़िया जो आदरसूचक अर्थ नहीं रखता मगर अवस्थाबोध जरुर कराता है जिसे भिखमंगे जैसी दया की दरकार होती है मेरी दादी वही हो गयी ...
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इतिहासलेखन का स्वरूप, इतिहासलेखन का उद्देश्य और इतिहासलेखन में समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों का सीधा संबंध समकालीन राजनीति के साथ होता ह...
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हे युधिष्ठिर हम प्रणाम करते हैं तुम्हें अपने कुलदेवता की तरह हम सबमें तुम बसे हो धर्मराज बने रहने के लिए हमने तुम्हारी भाषा अपना ली है ...
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