पूरी गर्मजोशी के साथ
मैं उस क्षण
भी
करूँगा तुम्हारा स्वागत
जब
शरीर मुर्झा चुकी होगी
आँखों ने बोलना
और
मस्तिष्क ने समझाना
बंद कर दिया होगा
एक-एक कर ढेरों
कलैंडर
उतर चुके होंगे दीवार से .
मैं दीवार पर
एक नया कलैंडर खिलाऊंगा
और फूलदान से
बासी फूलों को निकाल
उसमें
ताजे फूलों के साथ
शेष बची जिंदगी को भी
सजा दूंगा.
समय ठहरा रहेगा तब तक.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इतिहास राजनीति का युद्ध क्षेत्र है।
इतिहासलेखन का स्वरूप, इतिहासलेखन का उद्देश्य और इतिहासलेखन में समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों का सीधा संबंध समकालीन राजनीति के साथ होता ह...
-
आखिरी खत किसी के भी नाम नहीं नियम से न तो शुरू हुआ और न खत्म। लिफ़ाफ़े पे किसी का पता नहीं । अंदर के खत में कोई प्यारा आदरणीय पूज...
-
इतिहासलेखन का स्वरूप, इतिहासलेखन का उद्देश्य और इतिहासलेखन में समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों का सीधा संबंध समकालीन राजनीति के साथ होता ह...
-
हे युधिष्ठिर हम प्रणाम करते हैं तुम्हें अपने कुलदेवता की तरह हम सबमें तुम बसे हो धर्मराज बने रहने के लिए हमने तुम्हारी भाषा अपना ली है ...
1 comment:
बहुत अच्छी प्रस्तुति
Post a Comment