वैसे लोग
जो खुद को
सेक्युलर
प्रगतिशील
वैज्ञानिक
घोषित करते हुए
जब
किसी की भी बर्बर हत्या
(हिंदू हो या मुस्लिम)
की
निंदा करते हुए
ये कहते हैं कि
“धर्म हमें ये नहीं सिखाता
मज़हबी की ये तालीम नहीं हैं
ऐसे लोग
जन्नत नहीं जाएँगे
दोज़ख़ की आग में ताक़यामत जलेंगे।
ईश्वर इन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा”
तो ऐसा करके
वे फिर से
ग़लत दिशा में ड्राइविंग शुरू कर देते हैं।
दरअसल
इसके द्वारा
हम
अपवित्र साधन से पवित्र साध्य की
असफल कोशिश करते हुए
दुनिया की बिगड़ती सूरत को
और भी
बिगड़ने की लिए
जाहिलों के घेरे में छोड़ देते हैं।
अब इसकी बहुत ज़रूरत हो गयी है
कि
खुलकर घोषणा करें।
दुनियावालों
सच्चाई
वो नहीं
जिसे अबतक बताया जाता रहा है।
दिनी तालीम
धार्मिक ज्ञान
झूठे वादे
ईश्वर
पैग़म्बर
अवतार
पवित्र किताब
ईश्वरीय वाणी/संदेश
की अय्यारी
के सहारे भटकते हुए ही
हम इस हालत में पहुँच गए हैं
कि
गले काटे जा रहे हैं।
ज़िंदा जलाए जा रहे हैं।
अब खुलकर बोलने का
सामने खड़ा होने का
समय आ गया है।
सच्चाई वो है
और
धर्म भी केवल वो ही है।
जिसके बारे में
इंसानियत ने बताया है।
विज्ञान ने दिखाया है।
प्रकृति के पवित्र पनाह में
मानवता ने सिखाया है।
इसकी
कोई किताब नहीं
कोई पहचान नहीं
कोई तरीक़ा नहीं
कोई स्थान नहीं
बस प्रेम करो।
सभी की इज्जत करो।
आनंदित रहो।
खूब पढ़ो
तर्क करो।
प्रश्न करो
और
मानने से पहले जानने की कोशिश करो।
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