Thursday, June 30, 2022

बोलने का समय आ गया है।

वैसे लोग

जो खुद को 

सेक्युलर

प्रगतिशील 

वैज्ञानिक 

घोषित करते हुए

जब 

किसी की भी बर्बर हत्या 

(हिंदू हो या मुस्लिम)

की 

निंदा करते हुए 

ये कहते हैं कि 

“धर्म हमें ये नहीं सिखाता

मज़हबी की ये तालीम नहीं हैं 

ऐसे लोग 

जन्नत नहीं जाएँगे

दोज़ख़ की आग में ताक़यामत जलेंगे।

ईश्वर इन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा”

तो ऐसा करके 

वे फिर से 

ग़लत दिशा में ड्राइविंग शुरू कर देते हैं।

दरअसल 

इसके द्वारा 

हम 

अपवित्र साधन से पवित्र साध्य की 

असफल कोशिश करते हुए

दुनिया की बिगड़ती सूरत को 

और भी 

बिगड़ने की लिए 

जाहिलों के घेरे में छोड़ देते हैं।

अब इसकी बहुत ज़रूरत हो गयी है 

कि

खुलकर घोषणा करें।

दुनियावालों 

सच्चाई 

वो नहीं 

जिसे अबतक बताया जाता रहा है।

दिनी तालीम 

धार्मिक ज्ञान

झूठे वादे

ईश्वर

पैग़म्बर

अवतार

पवित्र किताब

ईश्वरीय वाणी/संदेश

की अय्यारी 

के सहारे भटकते हुए ही 

हम इस हालत में पहुँच गए हैं

कि

गले काटे जा रहे हैं।

ज़िंदा जलाए जा रहे हैं।

अब खुलकर बोलने का 

सामने खड़ा होने का 

समय आ गया है।

सच्चाई वो है 

और 

धर्म भी केवल वो ही है।

जिसके बारे में 

इंसानियत ने बताया है।

विज्ञान ने दिखाया है।

प्रकृति के पवित्र पनाह में

मानवता ने सिखाया है।

इसकी 

कोई किताब नहीं

कोई पहचान नहीं

कोई तरीक़ा नहीं

कोई स्थान नहीं

बस प्रेम करो।

सभी की इज्जत करो।

आनंदित रहो।

खूब पढ़ो 

तर्क करो।

प्रश्न करो 

और 

मानने से पहले जानने की कोशिश करो।

Sunday, June 5, 2022

समय में भारी उलझन है

 कविता , 05/06/2022

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समय में भारी उलझन है,
लोग परेशान बहुत हैं,
इसलिए
काम भी बहुत है।
आदतन
सभी अपने हिस्से की बात को
सच मानने के लिए बाध्य हो चुके हैं।
खेल के नियम कुछ इस प्रकार
सख्त और पवित्र हो चुके हैं
कि
हमने अपने पक्ष को सच मान लिया है।
और जिसे हम गलत मानते हैं
उसे
मिथ्या मानने के लिए बाध्य हो चुके हैं।
अपने मूल स्वरूप में
सच क्या है और झूठ क्या है,
सही क्या है
और
गलत क्या है,
इसकी फिक्र करना
अनैतिक होने जैसा
सख्त बना दिया गया है,
अज्ञात के अनंत में हमने
जो कुछ
निश्चित स्थापित कर लिया है,
उस
सूक्ष्म अभौतिक तत्व
और
वैचारिक व्यवस्था को
सही मानते हुए
अज्ञात रास्ते को
ज्ञात
राजमार्ग, धर्ममार्ग बनाने की जिद में
वहशी बने जा रहे हैं।
सात घोड़े की लगाम को मुट्ठी में पकड़े
भागे जा रहे है,
बुर्राक पे उड़े जा रहे हैं।
अपने अलावे सभी को तौलते हुए
नापते हुए
अलग अलग ढेर में
हम
अलग अलग समय में लोगों को खड़ा करते हुए
हाँफ रहे हैं,
फिर भी रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
और
इस तरह हम खुद को
दुनिया का एकमात्र संवेदनशील, वैज्ञानिक
प्राणी मानने वालों की
जमात में
शामिल लोगों की पंक्ति में खड़ा पा रहे हैं।

इतिहास राजनीति का युद्ध क्षेत्र है।

  इतिहासलेखन का स्वरूप, इतिहासलेखन का उद्देश्य और इतिहासलेखन में समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों का सीधा संबंध समकालीन राजनीति के साथ होता ह...