Tuesday, December 15, 2020

समय ठहरा रहेगा तबतक

पूरी गर्मजोशी के साथ
मैं उस क्षण
भी
करूँगा तुम्हारा स्वागत
जब
शरीर मुर्झा चुका होगा।
आँखों ने बोलना
और
मस्तिष्क ने समझाना
बंद कर दिया होगा।
एक-एक कर ढेरों
कैलेंडर
उतर चुके होंगे दीवार से .
मैं दीवार पर
एक नया कैलेंडर खिलाऊंगा।
और फूलदान से
रोज की भांति
बासी फूलों को निकाल
उसमें
ताजे फूलों के साथ
शेष बची जिंदगी को भी
तुम्हारे लिए
सजा दूंगा.
समय ठहरा रहेगा तब तक.

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